08/06/2023
सादर नमस्ते,
02 जून 2023 अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स से खबर को पढ़कर इस पत्र को लिख रहा हूँ । इस खबर को अन्य हिंदी न्यूज पोर्टल ने भी छापा है । खबर में है कि आरएसएस के संघ संचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा है कि दुनिया में अगर किसी ने आर्थिक संकट या कोरोना महामारी में अच्छा काम किया है तो वह भारत ने किया है । उन्होंने यह भी कहा, यह गर्व की बात है कि भारत को प्रतिष्ठित जी-20 की अध्यक्षता मिली। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सिद्धगिरि संस्थान कनेरी मठ, कोल्हापुर के कडसिद्धेश्वर स्वामी उपस्थित थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने ये भी कहा कि यह हम सभी का कर्तव्य है कि हम अपनी प्राचीन परंपरा को याद रखें और सभी विविधताओं को समाहित करने वाली भारतीय संस्कृति को स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि हमारे देश में प्राचीन काल से ही विविधताओं में समन्वय की संस्कृति रही है। नागपुर के रेशिमबाग स्थित डॉ. हेडगेवार स्मारक स्मृति मंदिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष संघ शिक्षा प्रशिक्षण के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे. डॉ. भागवत जी ने यह भी कहा, दुनिया में अगर किसी ने आर्थिक संकट या कोरोना महामारी में अच्छा काम किया है तो वह भारत ने किया है ।
भागवत जी ने अपने भाषण में प्राचीन ग्रंथों से लिए गए विभिन्न दृष्टान्तों का हवाला देते हुए इस बात पर जोर दिया कि एक ही सत्य को अलग-अलग लोगों द्वारा अलग-अलग तरीके से समझा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जो सभी का मार्गदर्शन करता है, उसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, उन्होंने अंतर्धार्मिक सद्भाव की आवश्यकता को रेखांकित किया है ।
सोसायटी का मानना है कि आप जो कह रहे है वह बिल्कुल सही है कि हम सभी को एक साथ आगे बढ़ना है । आपकी सारी बातें ठीक रहती है । आज समाज मे इतनी सारी विविधताएं है और सबकी अपनी मान्यताये है जो कि सही है । आज हम सब एक कैसे होंगे । इसके बारे में संघ ने जमीनी स्तर पर बहुत अच्छा कार्य किया है लेकिन वह हिंदुत्व को जोड़ने में ही कार्य तक सीमित रह गया । संघ भारत के हर गांव में कार्य कर रहा है । संघ के सदस्य हर घर तक पहुंच गए है जो कि अद्वितीय है । संघ थोड़ा सा हमारी सोसायटी को समझे तो ये पूरा देश एक हो सकता है । हमारी सोसायटी इसी उद्देश्य के साथ पिछले 8 वर्षों से लगातार कार्य कर रही है ।
संघ के मुकाबले तुलना करे तो हमारी सोसायटी को लोगो तक पहुंचने में काफी समय लगेगा । यदि आप लोग हमारे इस विचार से सहमत है और जमीनी स्तर पर कार्य करे जो हम कहने जा रहे है तो यह देश अखंड भाइचारे के लिए पूरे विश्व मे मिशाल बन जायेगा ।
आपको समझना होगा कि हम सिर्फ हिंदुत्व का प्रचार प्रसार करके समाज मे भाईचारा नही ला सकते है । ऐसा क्या करे ? जिससे हम सब एक हो जाये ? क्या हम सब एक हो सकते है ? सोसायटी का मानना है कि बिल्कुल हो सकते है ।
सभी धर्मों को स्वीकारना वह जैसे है वही वास्तविक स्वीकार्यता होगी । उनको अपने अपने से जोड़कर सही नही माना जा सकता है । ऐसा कहना वह कोई भी हो कि एक रंग से सभी रंग निकले है यह ठीक नही है लेकिन सभी रंग उसके है यह स्वीकारना शायद समाज मे सही संदेश जाएगा । यह सोसायटी का मैसेज सभी धर्मों के लिए है । आपको सभी धर्मों को अंदर से स्वीकारना होगा ।
अब हम आपको सोसायटी के बारे में अवगत कराना चाह रहे है कि इसका सबसे बड़ा मुख्य पहलू है कि आपस में अंतरजातीय विवाह होना चाहिए, जो भारत सरकार द्वारा कानून “प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स एक्ट 1955” में अंतरजातीय विवाह के लिए आया था जो कि लोगो को अभी जागरूकता भी नही है ऐसा कुछ एक्ट भी है ।
जो एक्ट कहता है अंतरजातीय विवाह तो होना ही चाहिये लेकिन इसके अलावा अन्तरक्षेत्रीय विवाह व अंतर धर्मो में विवाह भी होना चाहिये । हम सब एक दूसरे में ऐसे मिल जाये कि आज जो समस्या बार बार आ रही है वह समाप्त हो जायेगी ।
जब हम सभी अंदर से एक ही तरीके से सांस लेते है । जाति, क्षेत्र, धर्म की जो रेखाएं हमारे बीच खींच दी है । उससे हम सबको बाहर आना चाहिये । सोसायटी इस विचारधारा को सभी राज्यो के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सामाजिक न्याय मंत्री और अन्य इससे सम्बंधित सामाजिक संस्थाओं को लगातार पत्र भेजते रहते है । देश का सामाजिक विकास के साथ साथ आर्थिक विकास भी तभी हो पायेगा । इससे देश को हम एक नई दिशा दे पायेगे ।
आज हम ध्यान से देखे तो बच्चा पैदा होते ही वह किसी जाति, क्षेत्र, धर्म का हो जाता है उसकी वास्तविक पहचान जो है वह बहुत दूर खो जाती है । आज समय आ गया कि आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ ऐसा करे जिससे आज हम सभी झगड़ रहे है वह उनसे न झगड़े और समाज ऐसा हो कि सब एक दूसरे को प्रेम से अपनाये ।
संघ के ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ता को भी अंतरजातीय, अन्तरक्षेत्रीय और अन्तरधर्म में विवाह करके समाज को एक नया सन्देश देना चाहिए । यदि हम सब एक ही है तो आपस मे कोई किसी से भी विवाह करे इससे क्या फर्क पड़ता है । जो आने वाली संताने आयेगी वह अलग ही होंगी उनमें जाति, क्षेत्र, धर्म के नाम पर कोई मतभेद नही रहेंगे। इस पर कृपया सोचे और हमारी सोसायटी के साथ इस मुद्दे पर आप समय दे तो एक सकारात्मक भेंट हो सकती है जिससे अपने विचारों को अच्छे से साझा कर सकता हूँ ।
इसके अलावा आप हमारी सोशल वेबसाइट, ब्लॉग, फेसबुक, ट्विटर पर जाकर विजिट कर सकते है । जिसमे सामाजिक, आर्थिक, राजीनीतिक तौर पर कैसे समाज को एक नई दिशा दे सकते है ।
धन्यवाद