कोर्ट को जो पहले पत्र लिखा था उसकी प्रशंसा तो करते है । वह पत्र भी साथ मे है …
सादर नमस्ते,सभी अखवारों, न्यूज वेव पोर्टल और अन्य खबरो के स्रोतों के माध्यम से पता चला है कि स्पेशल मैरिज एक्ट पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है जिसमें कहा गया है कि 30 दिन के पूर्व नोटिस की बाध्यता खत्म हो गयी है । इससे 2 धर्मों में जो विवाह कर रहे है उनके लिये शुभ सूचना है और आराम से बिना किसी परेशानी के विवाह कर सकते है ।यह बहुत ही बड़ा और समाज मानव के हित में सकारात्मक निर्णय है । सोसायटी इस पर आपको बहुत बधाई और शुभकामनाएं देती है कि आपने उस समय ये निर्णय लिया । जिस समय उत्तर प्रदेश सरकार 2 धर्मो के विवाह को ऐसे देख रही है जैसे कोई बहुत बड़ा अपराध हो रहा है । अभी हाल ही में “उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म सम्परिवर्तन प्रतिषेध कानून, 2020 जो बना है । वह देश को एकजुट करने के लिये सही नही है । इससे तो लोगों में आपस मे नफरत पैदा होगी । आपस में धर्मो की दीवारें खड़ी हो जायेगी । लोगो को अहसास होता रहेगा कि वह किसी धर्म से सम्बंध रखते है । ऐसे कानून का सोसायटी सख्त विरोध करती है । इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजा था कि इस कानून पर फिर से विचार करे और सभी अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजा है कि ऐसे कानुन अपने राज्य में न बनाये जिससे देश आपस मे जुड़ने की बजाय, बटने लग जाये । यह एक बहुत ही गम्भीर विषय है ।भविष्य में ऐसा न हो इसलिये सोसायटी का विशेष आग्रह है कि आप न्यायालय की तरफ से राज्य में ऐसे कदम पर साथ न दे जो मानवीय हित मे नही है । हमारी सोसायटी इस संवेदनशील मुद्दे पर पिछले 6 वर्षो से लगातार गम्भीरता से पूरी जिम्मेदारी से काम कर रही है । लव जिहाद की चर्चा पिछले कुछ समय से लगातार होती है । विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के विषय पर खबरे आती रहती है ।सोसायटी इससे सम्बन्धित सभी विषयों पर काम करती आ रही है । इन सबका हल क्या होगा, जिससे सब कुछ ठीक हो जाये । कब तक ये सब चलता रहेगा ।अंतरजातीय विवाह पर जब कानून है तो उसको सरकार क्यों सही से पारित नही करती है । ये जातिगत मतभेट सबसे पहले खत्म होना चाहिये । ये जितने भी मामले आते है । सब हमारे अंदर सिर्फ ईर्ष्या नफरत फैलाने वाले होते है । वह किसी भी धर्म मे हो रहा हो । जो जिस धर्म का है वह उसी धर्म को माने । लोग क्यों बदलना चाहते है धर्म। ये ठीक नही है ।सोसायटी के पास इन सबका हल है । हम आपका ध्यान इस अंतरजातीय विवाह एक्ट के बारे में ले जाना चाहते है । जिसके बारे में कुछ ही लोग जानते है । सामान्य जनता को इसका पता ही नही है । भारत सरकार द्वारा कानून “प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स एक्ट 1955” में अंतरजातीय विवाह के लिये एक एक्ट आया था । आज लगभग 64 साल होने को है । लेकिन इस एक्ट के बारे में समाज मे जागरूकता बहुत कम है । सोसायटी आग्रह करती है कि इस एक्ट को उत्तर प्रदेश में जागरूकता फैलाने में मदद करे। जिससे इस एक्ट का लोग अधिक से अधिक लाभ उठा पाये । सभी राज्यो में इसका अलग अलग पैमाना है । सोसायटी का सबसे बड़ा मुख्य पहलू है कि आपस में अंतरजातीय विवाह तो होना ही चाहिए, जो एक्ट कहता है लेकिन इसके अलावा अन्तरक्षेत्रीय विवाह व अंतर धर्मो में विवाह हो इस पर भी आगे बढ़कर कार्य कर रही है । हम सभी अंदर से एक ही है । अब प्रश्न उठता है कि जाति, क्षेत्र, धर्म की जो रेखाएं हमारे बीच खींच दी है । उससे बाहर आना चाहिए । पहले क्या हुआ । किसने कितना अपराध, जुर्म किया है इस पर बदला लेने से अच्छा है कि हम वर्तमान में कोई ऐसी कड़ी योजना बनाये जिससे देश व पूरी मानवजाति एक ही छत के नीचे हो । कोई भी आपस मे मतभेद न हो और सोसायटी को लगता है कि आपस मे अंतरजातीय, अन्तरक्षेत्रीय, अन्तरधर्मो में विवाह ही भाईचारा को ला सकता है और देश को एक कर सकता है । हम जड़ से बीमारी को खत्म करना चाहते है ।100 से अधिक पूर्व आई ए एस अधिकारियों ने भी उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है कि जो उत्तर प्रदेश में कानून बनाया गया है वह वापिस लिया जाये । आई ए एस वर्ग देश को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है यदि इन सभी को भी इस पर सोचना पड़ रहा है तो कुछ तो इस कानून में गड़बड़ है । जिस पर सोसायटी को लगता है कि फिर से चिंतन, मंथन, अच्छे से विचार विमर्श होना चाहिये ।सोसायटी आग्रह करती है कि न्यायालय ऐसे संवेदनशील विषयो पर अच्छे कदम उठाती रहेगी ।सोसायटी एक बार फिर से न्यायालय की तरफ से जो निर्णय आया है उसकी प्रशंसा करती है ।
हमारी सोसायटी स्पेशल मैरिज एक्ट का समर्थन करती है लेकिन जो बीजेपी के डॉक्टर वमनाचार्य जी कह रहे है उनका भी कहना सही मानती है कि इस पर भी सोचना होगा कि यदि कोई पहले से शादीशुदा है तो उसको कैसे पता करेंगे ।उस डिवेट की लिंक यही है ।