नमस्ते, 30/12/2020
“उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म सम्परिवर्तन प्रतिषेध कानून, 2020 जो बना है । उसमें कोई सकारात्मक, देश हित मे पूरी मानवता को देखते हुये कानून नही दिख रहा है । उसमें लव जिहाद तथा सामूहिक धर्म परिवर्तन पर सरकार से सख्त कार्यवाही की जायेगी और दस वर्ष की सजा का भी प्रावधान है” ।
हमारी सोसायटी इस संवेदनशील मुद्दे पर पिछले 6 वर्षो से लगातार गम्भीरता से पूरी जिम्मेदारी से काम कर रही है ।
आज ही मध्यप्रदेश में भी इसी तरीके का लगभग कानून बनाया गया है । देश इससे एक नही होगा और 2 धर्मो के बीच नफरत पैदा हो रही है । एक धर्म का युवक या युवती दूसरे धर्म के युवक या युवती से कभी भी विवाह करने की नही सोचेगा । यदि वह सही नियत और सच्चे इरादे से विवाह करना भी चाहे तब भी विवाह नही करेगा ।
सोसायटी ऐसे असंवेदनशील, असामाजिक तत्व घृणा फैलाने वाले और जबरजस्ती विवाह के नाम पर धर्म परिवर्तन करने वालो का सख्ती से विरोध करती है, वह कोई भी किसी भी धर्म का पालन करता हो ।
लव जिहाद की चर्चा लगातार होती है । सोसायटी इससे सम्बन्धित सभी विषयों पर काम करती है ।
सोसायटी इस विषय पर कार्य कर रही है कि इन सबका हल क्या हो जिससे सब कुछ ठीक हो जाये । कब तक ये सब चलता रहेगा ।
अंतरजातीय विवाह पर जब कानून है तो उसको सरकार क्यों सही से पारित नही करती है ? ये जातिगत मतभेट सबसे पहले खत्म होना चाहिये । ये जितने भी मामले आते है । सब हमारे अंदर सिर्फ ईर्ष्या नफरत फैलाने वाले होते है । वह किसी भी धर्म मे हो रहा हो । जो जिस धर्म का है वह उसी धर्म को माने । लोग क्यों बदलना चाहते है धर्म। ये ठीक नही है ।
सोसायटी के पास इन सबका हल है । कृपया हमारी इन बातों को जो हम कह रहे है । उस पर ध्यान दे ।
हम आपका ध्यान इस अंतरजातीय विवाह एक्ट के बारे में ले जाना चाहते है । जिसके बारे में कुछ ही लोग जानते है । सामान्य जनता को इसका पता ही नही है । भारत सरकार द्वारा कानून “प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स एक्ट 1955″ में अंतरजातीय विवाह के लिये एक एक्ट आया था । आज लगभग 64 साल होने को है । लेकिन इस एक्ट के बारे में समाज मे जागरूकता बहुत कम है । सोसायटी आग्रह करती है कि इस एक्ट को अपने राज्य उत्तर प्रदेश में जागरूकता फैलाने में मदद करे। जिससे इस एक्ट का लोग अधिक से अधिक लाभ उठा पाये । सभी राज्यो में इसका अलग अलग पैमाना है । सोसायटी का सबसे बड़ा मुख्य पहलू है कि आपस में अंतरजातीय विवाह तो होना ही चाहिए, जो एक्ट कहता है लेकिन इसके अलावा अन्तरक्षेत्रीय विवाह व अंतर धर्मो में विवाह हो इस पर भी आगे बढ़कर कार्य कर रही है । हम सभी अंदर से एक ही है । अब प्रश्न उठता है कि जाति, क्षेत्र, धर्म की जो रेखाएं हमारे बीच खींच दी है । उससे बाहर आना चाहिए । पहले क्या हुआ । किसने कितना अपराध, जुर्म किया है इस पर बदला लेने से अच्छा है कि हम वर्तमान में कोई ऐसी कड़ी योजना बनाये जिससे देश व पूरी मानवजाति एक ही छत के नीचे हो । कोई भी आपस मे मतभेद न हो और सोसायटी को लगता है कि आपस मे अंतरजातीय, अन्तरक्षेत्रीय, अन्तरधर्मो में विवाह ही भाईचारा को ला सकता है ।
आशा है कि राज्य सरकार इस पर विचार करेगी ।
हम जड़ से बीमारी को खत्म करना चाहते है ।
अभी हाल ही में 100 से अधिक पूर्व आई ए एस अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है कि ये कानून वापिस लिया जाये । आई ए एस वर्ग देश को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है यदि इन सभी को भी इस पर सोचना पड़ रहा है तो कुछ तो इस कानून में गड़बड़ है । जिस पर सोसायटी को लगता है कि फिर से चिंतन, मंथन, अच्छे से विचार विमर्श होना चाहिये ।
सोसायटी आग्रह करती है कि इस पर जरूर सरकार फिर से विचार करके जो सही है वह करेगी ।
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