सेवा में,
आदरणीय राजेश कुमार मिश्रा,
विधायक,
भारतीय जनता पार्टी,
उत्तर प्रदेश,
विलेज – भरतोल, तहसील सदर,
बरेली, उत्तर प्रदेश
विषय – अन्तरजातीय विवाह-बेटी की शादी पर इतना हंगामा क्यों ?
सादर नमस्ते,
सभी अखबारों के हेडलाइन और न्यूज चैनलों पर लगातार आपका विरोधाभास चेहरा सामने आ रहा है क्यों कि आप एक पिता होने का सही फर्ज नही निभा पाये ।
आप देश के प्रतिष्ठित राज्य के एक सम्मानजनक विधायक है जो कि राजनीतिज्ञ दृष्टिकोण में सही हो सकते है लेकिन जब बात अपने और अपने परिवार पर आती है तो लगभग सभी मनुष्य अपनी वास्तविक स्थिति में आ जाते है । आपकी बेटी बालिग है उसको सही गलत की समझ है। वह पढ़ी लिखी भी है जैसा कि सभी जानते है आपने ही उसे अच्छी शिक्षा दिलवायी है । आज जब वह किसी के साथ विवाह बंधन में जुड़ना चाहती है तो आपको इतनी परेशानी क्यों हुयी, शायद सभी जान चुके है कि आप इस जातिवाद के जहर से बहार ही नही निकल पाये थे, बेटी के माध्यम से पूरा देश जान चुका है । कब तक इस छोटी सोच में फंसे रहेंगे ।
आपको पता नही होगा तो बता देते है कि खाप पंचायत जैसी संस्था भी अब जातिवाद से दूर होना चाहती है क्यों कि वह लोग समझ गये है कि हम इससे बट जाते है ।
हमारी संस्था का सिर्फ एक ही प्रश्न है कि यदि कोई लड़का किसी बिजनेसमैन परिवार से बहुत अमीर होता तो क्या आप मना कर सकते थे या किसी मंत्री का बेटा होता तो मना कर पाते, जरा इस पर गहरायी से सोचे ?
समाज कितना नीचे आ गया कि स्वयं एक बेटी पूरी मीडिया में अपने पिता से जान से मारने का खतरा बता रही है । संस्था नही जानती है कि आप क्या सोचते है लेकिन संस्था का सुझाव है कि कृपया इन सबसे बहार निकलिये ।
आपकी जानकारी के लिये बता दे कि भारत सरकार द्वारा कानून “प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स एक्ट 1955” में अंतरजातीय विवाह के लिये एक एक्ट आया था । आज लगभग 64 साल होने को है । लेकिन इस एक्ट के बारे में समाज मे जागरूकता बहुत कम है । हमारी संस्था आग्रह करती है कि इस पर भी आप गम्भीरता से सोचे । यदि अन्तरजातीय विवाह गलत था तो ये सरकार में एक्ट क्यों बना, जो अभी भी चल रहा है और आप तो सरकार एक अभिन्न हिस्सा है ।
हरियाणा और उड़ीसा में अन्तरजातीय विवाह के लिये महत्वपूर्ण कदम उठाये गये है जो कि सराहनीय है । आप भी एक विधायक होने के नाते उत्तर प्रदेश में इस एक्ट को आगे बढ़ाने और जागरूकता फैलाने के लिये काम करे ।
जरा सोचिये जब मनुष्य का जन्म हुआ तो वह क्या किसी जाति, धर्म, सम्प्रदाय का होता है । ये सब हम उस आने बाले बच्चे को समाज द्वारा उसको बताते है कि तू इंसान नही है, तू तो हिन्दू है, मुसलमान है, क्रिश्चियन है, इस जाति का, उस जाति का है और वह धरती पर आया हुआ नया बच्चा धीरे धीरे वही मानने लगता है । क्यों एक बच्चे की इंसान से इंसानियत छीन रहे है ये ईश्वर, अल्लाह या जो भी नाम दे जिसकी जो श्रद्धा है वह मनुष्य को कैसे बांट सकता है क्यों समाज को बाँटने में लगे है ।
कब तक बाँटोगे …..?
आखिर कभी तो अंत होना ही होगा इस जाति, धर्म से ऊपर होकर मनुष्य सोच पाये । क्यों अपने एक घेरे से बहार नही निकल पा रहे ऐसी क्या मजबूरी है ।
हमारी संस्था पिछले कई वर्षो से मनुष्य को मनुष्य बनाने का प्रयास कर रही है लेकिन आप जैसे लोग, वह किसी भी जाति, धर्म के हो । जो किसी जाति, धर्म के ठेकेदार बने बैठे है वह मनुष्य को मनुष्य नही बनने दे रहे है ।
कृपया आपसे विनम्र आग्रहपूर्ण निवेदन है कि इनसे बहार निकलकर दुनिया को देखिये । हम मनुष्य सभी अंदर से एक ही है । वही खून, वही प्राण, वही सांसे, वही दिल सब कुछ समान है लेकिन इस जाति, सम्प्रदाय, धर्म के द्वारा बांट लिया है जिसको आप जैसे लोग उसको कम करने की बजाह और बढ़ा रहे है ।
हमारी संस्था इन सबसे ऊपर उठकर सोचती है और मनुष्य को एक करने में हर सम्भव प्रयास कर रही है । इसके लिए संस्था आपस में अंतर जातीय विवाह, अंतर क्षेत्र और अंतर धर्मो में शादी हो ऐसा प्रयास कर रही है जिससे लोग विवाह करके जाति, धर्म से ऊपर होकर सोच पाये ।
इस विश्व मे एक ही परिवार हो वह हो मानव परिवार ।
आशा करते है आप हमारे पत्र को समझ रहे होंगे ।
धन्यवाद
भवदीय
पृथ्वी मानकतला
सचिव
द पीपुल्स वॉइस सोसायटी
नई दिल्ली